साँसों में तेरी नजदीकियों का इत्र्र तू घोल दे... घोल दे. मैं ही क्यूँ इश्क ज़ाहिर करूँ तू भी कभी बोल दे... बोल दे. साँसों में तेरी नजदीकियों का इत्र्र तू घोल दे घोल दे. मैं ही क्यूँ इश्क ज़ाहिर करूँ तू भी कभी बोल दे... बोल दे. लेके जान ही जाएगा मेरी क़ातिल हर तेरा बहाना हुआ तुझसे ही शुरु तुझपे ही ख़तम मेरे प्यार का फ़साना हुआ तू शम्मा है तो याद रखना मैं भी हूँ परवाना ओ ज़ालिमा... ओ ज़ालिमा. जो तेरी खातिर तडपे पहले से ही क्या उसे तडपाना ओ ज़ालिमा... ओ ज़ालिमा
दीदार तेरा मिलने के बाद ही छूटे मेरी अंगड़ाई तू ही बता दे क्यूँ जालिम मैं कहलाई क्यूँ इस तरह से दुनिया जहाँ में करता है मेरी रुसवाई तेरा कुसूर और जालिम मैं कहलाई दीदार तेरा मिलने के बाद ही छूटे मेरी अंगड़ाई तू ही बता दे क्यूँ जालिम मैं कहलाई तू ही बता दे क्यूँ जालिम मैं कहलाई
Wednesday, 10 January 2018
Zalima
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
হাসপাতালে
আমার -এ শরীর আজও স্পর্শ চায় আরও একবার তোমাকে বিছানায়... মাঝপথে আটকিয়ে যাওয়া আখাঙ্খায় আজও কেউ বসে দক্ষিণ জানালায়... দক্ষিণের সামুদ্রিক...

-
মাঝরাতে লাইব্রেরীতে তারই অপেক্ষায় বসে ভাবছি কতক্ষণে সে আসবে আমার নিদ্রাহীনতার দেশে সঙ্গিনী অশরীরী কখনও এ্যাতোটা করেনা দেরী ...
-
তোমায় নীল তোমায় লাল তোমায় সবুজ দেব আমি ছোঁব কালো বাসবো ভালো হয়ে অবুজ বিপথগামী ওহ ও ও তোমায় নীল তোমায় লাল তোমায় আমি সকাল দেব ত...
-
চিলতে রোদে পাখনা ডোবায় মুচকি হাসে শহরতলী চিলতে রোদে পাখনা ডোবায় মুচকি হাসে শহরতলী রোজ সকালে পড়ছে মনে রোজ সকালে পড়ছে মনে এ কথাটা কেমনে ...
No comments:
Post a Comment